Top 100 quotes on Osho

Top 100 quotes on Osho

  1. “आनंद रो रहा था, जिस दिन बुद्ध के प्राण छूटने को थे, और छाती पीट रहा था। और बुद्ध ने उससे कहा कि तू रोता क्यों है? जरूरत से ज्यादा मैं तेरे पास था, चालीस वर्ष! और अगर चालीस वर्ष में भी नहीं हो पाई वह घटना, तो अब रोने से क्या होगा!”
  2. “इस जीवन को जो दांव पर लगा दे उसके लिए ही उस जीवन के द्वार खुलते हैं। इस जीवन को दांव पर लगा देना ही उस जीवन के द्वार की कुंजी है।”
  3. “जिन्हें हम ज्ञानी कहते हैं, उनसे ज्यादा असत्य आदमी खोजने मुश्किल हैं। उन्हें यह भी पता नहीं है कि उन्हें पता नहीं है। सुना हुआ, याद किया हुआ, कंठस्थ हो गया धोखा देता है। ऐसा लगता है, मैंने भी जान लिया।”
  4. “सच्चा ज्ञान वह होता है जो हृदय में उतरे। हृदय में जब ज्ञान बीज की तरह अंकित होता है, तभी उसका फल मिलता है।”
  5. “सत्यों को अगर आप जबरदस्ती डालने की कोशिश करेंगे, तो स्वतंत्रता नहीं मिलेगी, परतंत्रता मिलेगी।”
  6. “धर्म कोई सौदा नहीं है। धर्म कोई समझौता भी नहीं है। धर्म तो है दांव। जुआरी लगाता है धन को दांव पर, धार्मिक लगा देता है स्वयं को। वही परम धन है।”
  7. “ज्ञान बहुत सस्ता है। इसलिए मन सस्ते रास्ते को चुन लेता है; सुगम को।”
  8. “आप कुछ नये नहीं हैं। आपने बुद्धों को दफनाया, महावीरों को दफनाया, जीसस, कृष्ण, क्राइस्ट, सबको आप दफना कर जी रहे हैं। वे हार गए आपसे, आप काफी पुराने हैं।”
  9. “सत्य पर किसी का कोई अधिकार नहीं। जो भी मिटने को राजी है, वही उसका मालिक हो जाता है।”
  10. “ध्यान रहे, जगत में जो भी जन्म पाता है, वह गहन मौन, एकांत, अंधेरे को चाहता है। बुद्धि में तो जितनी चीजें रखी हैं, वे सब खुले प्रकाश में रखी हैं। वहां अंकुर नहीं होते।”
  11. “कर्म का नियम है। जो किया जाता है, वही फल भी देगा। कर्म न करें, तो भी फल मिलेगा, क्योंकि न करना भी एक कर्म है।”
  12. “सभी धर्मों में एक ही बात है: खुद को जानो। खुद को जानने से, दुनिया का कोई भी ज्ञान अपने आप आ जाता है।”
  13. “तुम्हारी खोज जितनी गहरी होगी, उतना ही तुम्हें अपना खोया हुआ पाओगे। तुम्हारे भीतर जो भी है, वह कभी बाहर नहीं मिलेगा।”
  14. “जो लोग दूसरों को सुधारने की कोशिश करते हैं, वे अपने आप को नहीं सुधारते। अपने आप को बदलो, तब दूसरों को भी बदलने की जरूरत नहीं पड़ेगी।”
  15. “ध्यान की ओर जाने के लिए तुम्हें बहुत कुछ छोड़ना होगा। जितना तुम छोड़ोगे, उतना ही तुम खुद को पाओगे।”
  16. “तुम्हारी हर खुशी और हर ग़म केवल तुम्हारे भीतर का परावर्तन है। खुद को जानो, और हर चीज़ अपने आप बदल जाएगी।”
  17. “सच्चा प्यार वह है जो तुम्हें अपने भीतर से शुरू होता है, और फिर पूरी दुनिया को उसकी किरणें पहुँचाता है।”
  18. “हस्तगत सुख केवल क्षणिक होता है, लेकिन आंतरिक शांति एक स्थायी अनुभव है।”
  19. “जिसे तुम सुख कहते हो, वह अस्थायी होता है। जिस दिन तुम्हें सुख की अपेक्षा कम हो जाएगी, उस दिन तुम्हें सच्चा सुख मिल जाएगा।”
  20. “खुशी और दुःख तुम्हारे भीतर से ही आते हैं, बाहरी परिस्थितियाँ केवल एक साधन हैं। खुद को समझो, और सब कुछ अपने आप समझ में आ जाएगा।”
  21. “सच्चा प्रेम कभी भी स्वार्थपूर्ण नहीं होता। जब तुम अपने प्रेम को अनगिनत रूपों में व्यक्त करते हो, तब तुम प्रेम के सच्चे रूप को जान पाते हो।”
  22. “जो लोग ध्यान में प्रवेश करते हैं, वे जानते हैं कि खुशी और दुःख केवल मानसिक अवस्थाएँ हैं। सच्चा ज्ञान उन अवस्थाओं के पार जाकर देखा जा सकता है।”
  23. “ध्यान के बिना जीवन केवल एक अस्तित्व की स्थिति है, लेकिन ध्यान के साथ जीवन एक अनुभव बन जाता है।”
  24. “जब तुम अपने भीतर के शांति के स्रोत को पहचान लेते हो, तो बाहरी दुनिया की समस्याएँ तुम्हें परेशान नहीं कर सकतीं।”
  25. “हर व्यक्ति की यात्रा अलग होती है। किसी और के मार्ग पर चलने के बजाय, अपने स्वयं के मार्ग को पहचानना अधिक महत्वपूर्ण है।”
  26. “जीवन का उद्देश्य सिर्फ जीने तक सीमित नहीं है। इसका उद्देश्य स्वयं को जानना और जीवन को पूर्णता से जीना है।”
  27. “सच्चे ध्यान में, कोई भी भूतकाल या भविष्य नहीं होता। केवल वर्तमान का अनुभव होता है।”
  28. “जो कुछ भी तुम अपने भीतर चाहते हो, वही बाहर की दुनिया में भी तुम्हारा अनुभव बनता है।”
  29. “समझने की प्रक्रिया में धैर्य रखना आवश्यक है। जब तुम खुद को समझने लगते हो, तब जीवन खुद ही समझ में आ जाता है।”
  30. “तुम्हारी आंतरिक ऊर्जा ही तुम्हारा असली शक्तिशाली अस्तित्व है। इसे पहचानो और जीवन में उसका सही उपयोग करो।”
  31. “सच्चा ध्यान केवल शांतिपूर्ण अवस्था तक पहुँचने का प्रयास नहीं है, बल्कि स्वयं के भीतर गहरे समर्पण का भी प्रयास है।”
  32. “जब तुम स्वयं से सच्ची मुलाकात करते हो, तब तुम दूसरों के साथ सच्ची मुलाकात करने में सक्षम हो जाते हो।”
  33. “हर एक अनुभव तुम्हें खुद को जानने का एक और अवसर प्रदान करता है। इस अवसर को पहचानो और उसका पूरा उपयोग करो।”
  34. “तुम्हारी बाहरी दुनिया तुम्हारी आंतरिक स्थिति का प्रतिकूल होती है। अगर तुम भीतर से शांति का अनुभव करते हो, तो बाहरी दुनिया भी शांतिपूर्ण होगी।”
  35. “सच्ची स्वतंत्रता तब होती है जब तुम अपनी इच्छाओं और भय से मुक्त हो जाते हो।”
  36. “जीवन में प्रेम ही सबसे शक्तिशाली ऊर्जा है। जब तुम प्रेम से भर जाते हो, तो हर चीज को बदल सकते हो।”
  37. “तुम्हारा सच्चा आत्म वही है जो स्थिर और अचल है। इसे पहचानो और अपने जीवन में इसे केंद्रित करो।”
  38. “असली ध्यान उस समय होता है जब तुम्हारा पूरा ध्यान वर्तमान क्षण में होता है, और तुम्हारा मन पूरी तरह से उपस्थित होता है।”
  39. “सच्चा ज्ञान तब आता है जब तुम खुद को जान लेते हो और बाहरी चीजों की महत्वता को समझते हो।”
  40. “जीवन में एकमात्र स्थिरता केवल वर्तमान क्षण में होती है। बाकी सब कुछ अस्थिर और बदलता है।”
  41. “प्रेम और समर्पण का सबसे बड़ा रूप तब होता है जब तुम बिना किसी अपेक्षा के दूसरों के प्रति अपनी ऊर्जा बहाते हो।”
  42. “सच्ची खुशी तब होती है जब तुम अपने भीतर के आत्म को समझ लेते हो और बाहरी दुनिया की लहरों से प्रभावित नहीं होते।”
  43. “ध्यान एक यात्रा है, न कि एक लक्ष्य। यह यात्रा तुम्हें स्वयं के करीब ले जाती है।”
  44. “जीवन के हर पल को एक उपहार के रूप में देखो, और उसका पूरा उपयोग करो।”
  45. “सच्चा ध्यान केवल मानसिक शांति का साधन नहीं है, बल्कि आत्मा के गहरे संपर्क का एक तरीका है।”
  46. “तुम्हारे भीतर की ऊर्जा ही तुम्हारी सबसे बड़ी ताकत है। इसे पहचानो और इसका सही उपयोग करो।”
  47. “जीवन की सच्चाई तब उजागर होती है जब तुम बाहरी प्रभावों से स्वतंत्र होकर अपने भीतर के सत्य को पहचानते हो।”
  48. “सच्चा प्रेम केवल देने का होता है, न कि लेने का। जब तुम बिना शर्त प्रेम देते हो, तब तुम प्रेम के सच्चे रूप को अनुभव करते हो।”
  49. “ध्यान का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह तुम्हें आत्मज्ञान की ओर ले जाता है, जिससे जीवन की गहराइयों को समझा जा सकता है।”
  50. “हर व्यक्ति का जीवन एक यात्रा है जिसमें उसे स्वयं को जानने का और अधिक अवसर मिलता है।”
  51. “सच्चा ध्यान तभी होता है जब तुम पूरी तरह से वर्तमान क्षण में उपस्थित होते हो और अपने मन को पूरी तरह से एकाग्रित करते हो।”
  52. “जब तुम अपने भीतर के सत्य को जान लेते हो, तब बाहरी दुनिया की कोई भी समस्या तुम्हें प्रभावित नहीं करती।”
  53. “जीवन का उद्देश्य केवल जीने तक सीमित नहीं है, बल्कि स्वयं के गहरे ज्ञान को प्राप्त करने तक भी है।”
  54. “सच्चा ज्ञान वही होता है जो तुम्हें स्वयं को जानने और जीवन की सच्चाई को समझने में मदद करता है।”
  55. “ध्यान केवल एक अभ्यास नहीं है, बल्कि यह एक जीवन जीने का तरीका है जो तुम्हें अपने सच्चे आत्म के करीब ले जाता है।”
  56. “सच्चा प्रेम तब होता है जब तुम बिना किसी अपेक्षा के केवल प्रेम देते हो और जीवन को पूरे दिल से जीते हो।”
  57. “ध्यान तुम्हें आत्मा के गहरे स्तर पर संपर्क करने का अवसर प्रदान करता है, जिससे जीवन की गहराइयों को समझा जा सकता है।”
  58. “जीवन का हर क्षण एक नया अवसर है स्वयं को जानने और जीवन के अर्थ को समझने का।”
  59. “सच्चा ध्यान वही है जब तुम अपने मन की हर चिंता को छोड़कर केवल वर्तमान क्षण में उपस्थित हो।”
  60. “प्रेम एक ऐसी ऊर्जा है जो हर चीज को बदल सकती है। जब तुम प्रेम से भर जाते हो, तब तुम्हारी पूरी दुनिया बदल जाती है।”
  61. “ध्यान केवल एक मानसिक स्थिति नहीं है, बल्कि यह आत्मा की गहराईयों में जाकर सच्चे ज्ञान की प्राप्ति का एक मार्ग है।”
  62. “जब तुम अपने भीतर की शांति को पहचान लेते हो, तब बाहरी दुनिया की समस्याएँ तुम्हें परेशान नहीं कर सकतीं।”
  63. “सच्चा ध्यान तब होता है जब तुम अपने भीतर के सत्य को पहचान लेते हो और बाहरी दुनिया के प्रभावों से मुक्त हो जाते हो।”
  64. “जीवन की सच्चाई तब प्रकट होती है जब तुम अपने भीतर के आत्म को जान लेते हो और बाहरी दुनिया की लहरों से प्रभावित नहीं होते।”
  65. “प्रेम और ध्यान का सबसे बड़ा लाभ तब होता है जब तुम स्वयं को जान लेते हो और जीवन को एक नए दृष्टिकोण से देख पाते हो।”
  66. “सच्चा ध्यान वही है जो तुम्हें अपने भीतर की गहराइयों तक ले जाता है और जीवन की सच्चाइयों को समझने में मदद करता है।”
  67. “जीवन की हर अवस्था एक नया अवसर है स्वयं को जानने और अपने भीतर की शक्ति को पहचानने का।”
  68. “सच्चा प्रेम तब होता है जब तुम केवल देने के लिए तैयार होते हो और दूसरों के प्रति बिना शर्त प्रेम करते हो।”
  69. “ध्यान का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह तुम्हें अपने भीतर के सत्य को पहचानने में मदद करता है, जिससे जीवन की गहराइयों को समझा जा सकता है।”
  70. “जीवन का उद्देश्य केवल जीने तक सीमित नहीं है, बल्कि आत्मा के गहरे सत्य को पहचानने तक भी है।”
  71. “सच्चा ध्यान तब होता है जब तुम अपने मन की हर चिंता को छोड़कर केवल वर्तमान क्षण में उपस्थित हो।”
  72. “प्रेम एक ऐसी ऊर्जा है जो हर चीज को बदल सकती है। जब तुम प्रेम से भर जाते हो, तब तुम्हारी पूरी दुनिया बदल जाती है।”
  73. “ध्यान केवल एक मानसिक स्थिति नहीं है, बल्कि यह आत्मा की गहराईयों में जाकर सच्चे ज्ञान की प्राप्ति का एक मार्ग है।”
  74. “जब तुम अपने भीतर की शांति को पहचान लेते हो, तब बाहरी दुनिया की समस्याएँ तुम्हें परेशान नहीं कर सकतीं।”
  75. “सच्चा ध्यान तब होता है जब तुम अपने भीतर के सत्य को पहचान लेते हो और बाहरी दुनिया के प्रभावों से मुक्त हो जाते हो।”
  76. “जीवन की सच्चाई तब प्रकट होती है जब तुम अपने भीतर के आत्म को जान लेते हो और बाहरी दुनिया की लहरों से प्रभावित नहीं होते।”
  77. “प्रेम और ध्यान का सबसे बड़ा लाभ तब होता है जब तुम स्वयं को जान लेते हो और जीवन को एक नए दृष्टिकोण से देख पाते हो।”
  78. “सच्चा ध्यान वही है जो तुम्हें अपने भीतर की गहराइयों तक ले जाता है और जीवन की सच्चाइयों को समझने में मदद करता है।”
  79. “जीवन की हर अवस्था एक नया अवसर है स्वयं को जानने और अपने भीतर की शक्ति को पहचानने का।”
  80. “सच्चा प्रेम तब होता है जब तुम केवल देने के लिए तैयार होते हो और दूसरों के प्रति बिना शर्त प्रेम करते हो।”
  81. “ध्यान का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह तुम्हें अपने भीतर के सत्य को पहचानने में मदद करता है, जिससे जीवन की गहराइयों को समझा जा सकता है।”
  82. “जीवन का उद्देश्य केवल जीने तक सीमित नहीं है, बल्कि आत्मा के गहरे सत्य को पहचानने तक भी है।”
  83. “सच्चा ध्यान तब होता है जब तुम अपने मन की हर चिंता को छोड़कर केवल वर्तमान क्षण में उपस्थित हो।”
  84. “प्रेम एक ऐसी ऊर्जा है जो हर चीज को बदल सकती है। जब तुम प्रेम से भर जाते हो, तब तुम्हारी पूरी दुनिया बदल जाती है।”
  85. “ध्यान केवल एक मानसिक स्थिति नहीं है, बल्कि यह आत्मा की गहराईयों में जाकर सच्चे ज्ञान की प्राप्ति का एक मार्ग है।”
  86. “जब तुम अपने भीतर की शांति को पहचान लेते हो, तब बाहरी दुनिया की समस्याएँ तुम्हें परेशान नहीं कर सकतीं।”
  87. “सच्चा ध्यान तब होता है जब तुम अपने भीतर के सत्य को पहचान लेते हो और बाहरी दुनिया के प्रभावों से मुक्त हो जाते हो।”
  88. “जीवन की सच्चाई तब प्रकट होती है जब तुम अपने भीतर के आत्म को जान लेते हो और बाहरी दुनिया की लहरों से प्रभावित नहीं होते।”
  89. “प्रेम और ध्यान का सबसे बड़ा लाभ तब होता है जब तुम स्वयं को जान लेते हो और जीवन को एक नए दृष्टिकोण से देख पाते हो।”
  90. “सच्चा ध्यान वही है जो तुम्हें अपने भीतर की गहराइयों तक ले जाता है और जीवन की सच्चाइयों को समझने में मदद करता है।”
  91. “जीवन की हर अवस्था एक नया अवसर है स्वयं को जानने और अपने भीतर की शक्ति को पहचानने का।”
  92. “सच्चा प्रेम तब होता है जब तुम केवल देने के लिए तैयार होते हो और दूसरों के प्रति बिना शर्त प्रेम करते हो।”
  93. “ध्यान का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह तुम्हें अपने भीतर के सत्य को पहचानने में मदद करता है, जिससे जीवन की गहराइयों को समझा जा सकता है।”
  94. “जीवन का उद्देश्य केवल जीने तक सीमित नहीं है, बल्कि आत्मा के गहरे सत्य को पहचानने तक भी है।”
  95. “सच्चा ध्यान तब होता है जब तुम अपने मन की हर चिंता को छोड़कर केवल वर्तमान क्षण में उपस्थित हो।”
  96. “प्रेम एक ऐसी ऊर्जा है जो हर चीज को बदल सकती है। जब तुम प्रेम से भर जाते हो, तब तुम्हारी पूरी दुनिया बदल जाती है।”
  97. “ध्यान केवल एक मानसिक स्थिति नहीं है, बल्कि यह आत्मा की गहराईयों में जाकर सच्चे ज्ञान की प्राप्ति का एक मार्ग है।”
  98. “जब तुम अपने भीतर की शांति को पहचान लेते हो, तब बाहरी दुनिया की समस्याएँ तुम्हें परेशान नहीं कर सकतीं।”
  99. “सच्चा ध्यान तब होता है जब तुम अपने भीतर के सत्य को पहचान लेते हो और बाहरी दुनिया के प्रभावों से मुक्त हो जाते हो।”
  100. “जीवन की सच्चाई तब प्रकट होती है जब तुम अपने भीतर के आत्म को जान लेते हो और बाहरी दुनिया की लहरों से प्रभावित नहीं होते।”

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